पंजाब में किसानों द्वारा किए गए बंद के आह्वान ने पूरे राज्य में हलचल मचा दी है। किसान संगठनों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर प्रदर्शन तेज कर दिया है। इस बीच, खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन कर रहे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने केंद्र सरकार पर आंदोलन को कुचलने की कोशिश करने का आरोप लगाया है।
किसान आंदोलन और डल्लेवाल की अपील
पंजाब बंद के दौरान किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने एक बयान में कहा कि उनका आंदोलन गांधीवादी पद्धति पर आधारित है और उन्होंने सत्याग्रह का रास्ता अपनाया है। लेकिन, केंद्र सरकार उनकी मांगों को नजरअंदाज कर रही है और आंदोलन को दबाने की कोशिश कर रही है।
डल्लेवाल ने खनौरी बॉर्डर पर लोगों से अपील करते हुए कहा कि आंदोलन को बचाने के लिए सभी लोग बड़ी संख्या में मौके पर पहुंचे। उनके मुताबिक, यह विरोध पूरी तरह शांतिपूर्ण है, लेकिन पुलिस की भारी तैनाती ने प्रदर्शनकारियों के मन में चिंता बढ़ा दी है। उन्होंने आमजन से समर्थन मांगते हुए कहा कि यदि आंदोलन को समर्थन नहीं मिला, तो सरकार इसे कुचल सकती है।
भूख हड़ताल का 35वां दिन
किसान नेता डल्लेवाल की भूख हड़ताल सोमवार को 35वें दिन में प्रवेश कर गई है। 70 वर्षीय डल्लेवाल ने अब तक किसी भी प्रकार का चिकित्सा उपचार लेने से इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक कि सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं देती।
पंजाब बंद का असर
पंजाब बंद के चलते राज्य में कई स्थानों पर सड़कें जाम कर दी गईं, जिससे यातायात व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई। किसान संगठनों ने सुबह 7 बजे से शाम 4 बजे तक बंद की घोषणा की थी। अमृतसर, बठिंडा, पटियाला और अन्य शहरों में प्रमुख राजमार्गों पर प्रदर्शनकारियों ने धरना दिया।
धारेरी जट्टन टोल प्लाजा पर प्रदर्शनकारियों के कारण पटियाला-चंडीगढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग पर वाहनों की आवाजाही बाधित हुई। अमृतसर के गोल्डन गेट और बठिंडा के रामपुरा फूल में प्रदर्शनकारियों ने यातायात रोक दिया।
आपातकालीन सेवाओं को मिली छूट
पंजाब बंद के दौरान किसान नेताओं ने स्पष्ट किया कि आपातकालीन सेवाओं को बाधित नहीं किया जाएगा। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि फ्लाइट पकड़ने वाले यात्रियों, नौकरी के लिए इंटरव्यू देने वाले उम्मीदवारों और शादी समारोह में शामिल होने वाले लोगों को बंद से बाहर रखा गया है। यह निर्णय आमजन की सुविधा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
आंदोलन की मांगें और सरकार की प्रतिक्रिया
किसानों का आंदोलन न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी की मांग पर केंद्रित है। किसानों का कहना है कि सरकार को उनके मुद्दों को गंभीरता से लेना चाहिए। हालांकि, केंद्र सरकार की ओर से अब तक इस मामले पर ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है।
भविष्य की स्थिति
पंजाब बंद के बाद आंदोलन का भविष्य पूरी तरह से सरकार की प्रतिक्रिया पर निर्भर करेगा। किसान संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं, तो आंदोलन और तेज होगा। वहीं, डल्लेवाल के स्वास्थ्य को लेकर भी चिंता बढ़ रही है।
इस आंदोलन ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि किसानों की मांगों और सरकार के बीच समाधान कैसे निकलेगा। आंदोलन के शांतिपूर्ण तरीके और जनसमर्थन ने इसे खास बना दिया है, लेकिन सरकार की चुप्पी ने इस मुद्दे को और गंभीर बना दिया है।