गुरुवार सुबह खेत की ओर जाते वक्त उन्होंने जलेसर स्टेशन के पास टूटी हुई रेलवे पटरी देखी। तभी देखा कि ट्रेन आ रही है! घबराने के बजाय उन्होंने तुरंत फैसला लिया अपनी लाल साड़ी उतारी, लकड़ियों की मदद से पटरी पर बांधी ताकि ड्राइवर को खतरे का इशारा मिल सके। उनकी इस समझदारी ने एक बड़ा हादसा टाल दिया। ट्रेन समय पर रुक गई और करीब डेढ़ घंटे बाद, मरम्मत के बाद उसे फिर से रवाना किया गया। उनकी ये बहादुरी साबित करती है कि सच्चे हीरो हमेशा वर्दी में नहीं होते ! सलाम है ओमवती जी को, जिन्होंने बिना किसी स्वार्थ के लोगों की जान बचाई