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राजस्थान हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: लिव-इन रिलेशनशिप के लिए पोर्टल बनाने का निर्देश
राजस्थान 5 3 months ago

राजस्थान उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि लिव-इन रिलेशनशिप के पंजीकरण के लिए एक पोर्टल शुरू किया जाए। न्यायालय ने यह फैसला कई लिव-इन जोड़ों की याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान दिया, जिनमें उन्होंने अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता व्यक्त की थी।

कोर्ट का फैसला और तर्क
न्यायमूर्ति अनूप कुमार ढंड की एकल पीठ ने कहा कि जब तक इस विषय पर कोई स्पष्ट कानून नहीं बनता, तब तक लिव-इन संबंधों को सक्षम प्राधिकारी या न्यायाधिकरण के पास पंजीकृत कराना चाहिए।

कोर्ट ने यह भी माना कि कई जोड़े अपने लिव-इन रिश्ते को सामाजिक स्वीकृति न मिलने के कारण खतरा महसूस करते हैं। ऐसे में, वे अपनी जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए अदालत का रुख कर रहे हैं।

महिला की स्थिति और सामाजिक स्वीकृति का सवाल
अदालत ने कहा कि लिव-इन रिलेशनशिप का विचार आकर्षक लग सकता है, लेकिन इससे उत्पन्न होने वाली समस्याएं जटिल और चुनौतीपूर्ण होती हैं। विशेष रूप से, इस संबंध में महिला की स्थिति पत्नी जैसी नहीं होती और उसे सामाजिक स्वीकृति का अभाव झेलना पड़ता है।

पंजीकरण प्रक्रिया और निगरानी समिति
न्यायालय ने सुझाव दिया कि लिव-इन रिलेशनशिप के पंजीकरण के लिए सरकार द्वारा स्थापित सक्षम प्राधिकारी या न्यायाधिकरण के माध्यम से एक प्रक्रिया तय की जानी चाहिए। इसके लिए, राज्य के प्रत्येक जिले में एक समिति गठित करने की भी सिफारिश की गई, जो लिव-इन जोड़ों की शिकायतों पर ध्यान देगी और समाधान निकालेगी।

इसके अलावा, एक वेबसाइट या वेब पोर्टल शुरू करने का भी निर्देश दिया गया, जहां ऐसे संबंधों से उत्पन्न समस्याओं के समाधान के लिए आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकें।

सरकार को रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश
राजस्थान हाईकोर्ट ने आदेश की एक प्रति राज्य के मुख्य सचिव, विधि एवं न्याय विभाग के प्रधान सचिव तथा न्याय एवं समाज कल्याण विभाग, नई दिल्ली के सचिव को भेजने का निर्देश दिया।

साथ ही, अदालत ने सरकार को यह भी आदेश दिया कि एक मार्च 2025 तक या उससे पहले इस न्यायालय के समक्ष अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए और इस विषय पर उठाए गए कदमों की जानकारी दी जाए।

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