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गरियाबंद मुठभेड़: सुरक्षाबलों के ‘चक्रव्यूह’ में फंसे 3 करोड़ के इनामी नक्सली, 12 की हुई पहचान
छत्तीसगढ़ 5 3 months ago

छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में एक बड़ी मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने 16 माओवादियों को मार गिराया। इन मारे गए नक्सलियों में से 12 की पहचान कर ली गई है, जिनमें से च्लपति उर्फ जयराम, जो माओवादियों की केंद्रीय समिति का सदस्य था, भी शामिल है। इस मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने 72 घंटे तक चली कड़ी कार्रवाई में भारी सफलता हासिल की।

च्लपति की पहचान और इनाम
च्लपति माओवादियों के केंद्रीय कमेटी का एक अहम सदस्य था और उसके सिर पर 90 लाख रुपये का इनाम था। 60 वर्षीय च्लपति, जो तकनीकी प्रेमी के रूप में पहचाना जाता था, हमेशा अपने पास एके-47, रेडियो, मोबाइल और टैबलेट लेकर चलता था। वह छत्तीसगढ़, ओडिशा, और आंध्र प्रदेश में सक्रिय था और इन क्षेत्रों में उसके खिलाफ इनाम घोषित था।

मुठभेड़ में मारे गए अन्य नक्सली
सुरक्षाबलों ने इस अभियान में 65 लाख रुपये के इनामी जयराम उर्फ गुड्डू (ओडिशा राज्य समिति का सदस्य), 65 लाख रुपये के इनामी सत्यम गावड़े उर्फ सुरेंदर (धमतरी और गरियाबंद क्षेत्र के प्रमुख), और 18 लाख रुपये के इनामी आलोक उर्फ मुन्ना सहित कई अन्य नक्सलियों को ढेर किया। इस मुठभेड़ में महिला नक्सलियों सहित कई अन्य उच्च कैडर के नक्सली भी मारे गए।

मुठभेड़ का अभियान और सुरक्षाबलों की भूमिका
यह अभियान गरियाबंद के धमतरी-गरियाबंद-नुआपाड़ा क्षेत्र में सुरक्षाबलों द्वारा चलाया गया था। सुरक्षाबलों की विशेष इकाइयों ने खुफिया जानकारी के आधार पर नक्सलियों के खिलाफ एक सटीक ‘चक्रव्यूह’ तैयार किया था। इसमें सीआरपीएफ, कोबरा (कमांडो बटालियन फॉर रेसोल्यूट एक्शन), और ओडिशा पुलिस के एसओजी के जवान शामिल थे।

खुफिया जानकारी के आधार पर अभियान
खुफिया जानकारी के मुताबिक, माओवादियों की दो क्षेत्रीय समितियां ओडिशा और छत्तीसगढ़ की सीमा के पास सक्रिय थीं। सुरक्षाबलों ने इस इलाके में कुल्हाड़ीघाट-भालुडिग्गी के जंगल में छापे मारे, जहां ओडिशा राज्य समिति के नक्सली मौजूद थे।

नक्सलियों की गतिविधियों पर प्रभाव
इस मुठभेड़ ने छत्तीसगढ़ और ओडिशा की सीमा पर नक्सलियों की गतिविधियों को कमजोर कर दिया है। आईजी अमरेश मिश्रा ने बताया कि इस मुठभेड़ ने नक्सलियों को बैकफुट पर ला दिया है और इस ऑपरेशन ने राज्य के अन्य क्षेत्रों में भी नक्सली गतिविधियों पर असर डाला है।

यह मुठभेड़ मार्च 2026 तक नक्सलवाद के खिलाफ देशव्यापी लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।

अब तक की स्थिति
इस मुठभेड़ में मारे गए नक्सलियों की संख्या 16 हो चुकी है, और इस साल छत्तीसगढ़ में 42 नक्सलियों को मारा जा चुका है। पिछले वर्ष सुरक्षा बलों ने कुल 219 नक्सलियों को मुठभेड़ों में ढेर किया था।

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