भोपाल: एमपी में एक बार फिर से भारती परीक्षाओं का सच सामने आ गया है। 2023 में हुई मध्य प्रदेश पुलिस कांस्टेबल भारती परीक्षा में बड़ा घोटाला का ख़ुलासा हुआ है। जैसी फिल्मों में होता है, वैसे ही यहां भी असली उम्मीदवर की जगह एक “सॉल्वर” ने परीक्षा दी, पास भी हो गया, और उसके नाम पर कांस्टेबल बन गया। लेकिन ज्वाइनिंग से पहले ही सबका सच सामने आ गया, और अब असली और नकली दोनो पुलिस की हिरासत में हैं।
क्या है ये पूरा घोटाला?
एमपी में 2023 की पुलिस कांस्टेबल भारती परीक्षा अगस्त से सितंबर के बीच हुई थी। लगभाग 7 लाख युवाओं ने फॉर्म भरा था, जिसमें से 7090 लोग सेलेक्ट हुए। लेकिन जब जॉइनिंग का वक्त आया, तो पता चला कि उम्मीदवारों ने अपनी जगह किसी और को – यानी “सॉल्वर” को – परीक्षा और फिजिकल टेस्ट के लिए भेज दिया था।
जैसे ही ज्वाइनिंग से पहले दस्तावेज सत्यापित हुए, कुछ लोगों के आधार कार्ड और फिंगरप्रिंट मैच नहीं हुए। इसी वजह से इनकी असलियत सामने आई और घोटाले का पता चला।
एक कैंडिडेट का सच: राम रूप गुर्जर का केस
मुरैना का रहने वाला राम रूप गुर्जर जब अलियाराजपुर एसपी कार्यालय में शामिल होने गया, तभी उसके आधार कार्ड में संदिग्ध अपडेट दिखा। जैसा ही फिंगरप्रिंट सत्यापित हुआ, पता चला कि जिसने परीक्षा दी थी वह कोई और था। राम रूप ने पुलिस को बताया कि बिहार का अमरेंद्र सिंह उसकी जगह 1 लाख रुपये लेकर परीक्षा देने आया था।
पुलिस ने कार्रवाई करते हुए अमरेंद्र को बिहार-झारखंड सीमा से गिरफ्तार कर लिया। अब दोनो से पुछताछ जारी है।
और भी मामले: एक नहीं, पूरा नेटवर्क है!
इसी तरह के मामले एमपी के कई जिले – जैसे अलीराजपुर, श्योपुर, और मुरैना – से सामने आए हैं।
श्योपुर में 19 लोग सेलेक्ट हुए, जिसमें से 3 का सिलेक्शन फर्जी निकला: सोनू रावत, संतोष रावत और अमन सिंह। इन्होनें भी सॉल्वर भेजा था, और आधार अपडेट करवा कर पहचान बदली थी।
पुलिस ने अभ्यर्थियों के साथ उनके सॉल्वर्स और आधार कार्ड अपडेट करने वाले 3 और लोगों को भी गिरफ्तार किया है।
घोटाले का पूरा तरीका
सॉल्वर गैंग पहले ऐसे अभ्यर्थियों को ढूंढता है जो नौकरी चाहते हैं।
फिर उनके लिए परीक्षा देने के लिए सॉल्वर तय किया जाता है।
आधार कार्ड की बायोमेट्रिक पहचान (फिंगरप्रिंट और चेहरा) बदलवा दी जाती है।
परीक्षा के लिए सॉल्वर के फिंगरप्रिंट अपडेट किये जाते हैं।
परीक्षा के बाद फिर से असली उम्मीदवार के बायोमेट्रिक डेटा से आधार अपडेट किया जाता है।
जब जॉइनिंग होती है तो आधार की वही कॉपी दिया जाता है – जिसे कोई शक न हो।
क्या सिर्फ नाम बदला है, सिस्टम वही पुराना है?
ये घोटाला एक बार फिर व्यापम घोटाला की याद दिलाया जा रहा है, जहां इसी तरह के सॉल्वर और पहचान बदलने का बढ़िया नेटवर्क बना हुआ था। हमें बदनामी के बाद व्यापमं का नाम बदल के प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड रखा गया था, और फिर 2022 में इसे एमपी कर्मचारी चयन मंडल बना दिया गया।
लेकिन पुलिस कांस्टेबल भर्ती में आये नये घोटाले ने सवाल खड़ा कर दिया है क्या सिर्फ नाम बदला, या सिस्टम भी?