बॉलीवुड की पूर्व एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी अब आध्यात्मिक राह पर चल पड़ी हैं। उन्होंने 24 जनवरी को प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान पिंडदान कर खुद को सांसारिक जीवन से अलग घोषित किया और किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बन गईं। अब उनका नाम श्री यमई ममता नंदगिरी होगा। हालांकि, इस फैसले पर कई संतों ने सवाल उठाए हैं, जिनमें बाबा रामदेव भी शामिल हैं।
बाबा रामदेव का सवाल – एक दिन में संत कैसे बन सकते हैं?
बाबा रामदेव ने PTI से बातचीत में कहा,
“कुछ लोग, जो कल तक सांसारिक सुखों में लिप्त थे, अचानक एक ही दिन में संत बन गए और महामंडलेश्वर जैसी उपाधि प्राप्त कर ली।”
उन्होंने महाकुंभ की पवित्रता पर भी जोर देते हुए कहा कि,
“यह सनातन संस्कृति का महापर्व है, लेकिन कुछ लोग इसका गलत फायदा उठाते हैं। महाकुंभ का असली अर्थ तपस्या और साधना से जुड़ा है, न कि दिखावे और अनुचित व्यवहार से।”
संत समाज में उठे सवाल
बाबा रामदेव ही नहीं, कई अन्य संतों ने भी ममता कुलकर्णी के महामंडलेश्वर बनने पर आपत्ति जताई है। संत समाज का कहना है कि इतने प्रतिष्ठित पद के लिए सालों की तपस्या और साधना जरूरी होती है, लेकिन ममता को एक ही दिन में यह पद दे दिया गया।
ममता कुलकर्णी की सफाई
ममता कुलकर्णी ने अपने महामंडलेश्वर बनने पर कहा था,
“मुझे यह पद आसानी से नहीं मिला, बल्कि कड़ी परीक्षा से गुजरना पड़ा। चार जगतगुरुओं ने मेरी परीक्षा ली और कठिन प्रश्न पूछे। मेरे उत्तरों से उन्हें मेरी तपस्या का अंदाजा हुआ, तभी मुझे महामंडलेश्वर पद दिया गया।”
उन्होंने किन्नर अखाड़े को चुनने की वजह बताते हुए कहा,
“यह एक स्वतंत्र अखाड़ा है, जहां किसी प्रकार की बंदिशें नहीं हैं। ध्यान केवल भाग्य से प्राप्त होता है। गौतम बुद्ध ने भी भोग-विलास देखा था, फिर उन्होंने साधना का रास्ता अपनाया।”
144 साल बाद आया यह अवसर
ममता कुलकर्णी के मुताबिक,
“144 सालों बाद ऐसा अवसर आया है, जहां मुझे महामंडलेश्वर बनाया गया। यह केवल आदिशक्ति की कृपा से ही संभव हो पाया है।”
क्या ममता को इतनी जल्दी महामंडलेश्वर बनाना सही फैसला?
ममता कुलकर्णी का महामंडलेश्वर बनना आध्यात्मिक समाज में एक नई बहस छेड़ चुका है। जहां कुछ लोग इसे एक नया अध्याय मान रहे हैं, वहीं कई संत इसे सनातन परंपराओं के विरुद्ध बता रहे हैं। बाबा रामदेव के सवालों के बाद यह विवाद और गहरा गया है।