हरियाणा ने हमेशा से भारत के ओलंपियनों और ओलंपिक पदक विजेताओं में बड़ा योगदान दिया है। पेरिस 2024 में, भारत के हर चौथे ओलंपियन और व्यक्तिगत तौर पर चार में से पांच पदक विजेता हरियाणा से थे।
इसका मुख्य कारण है जमीनी स्तर पर खेलों में व्यापक भागीदारी। अब बैडमिंटन भी हरियाणा में ऐसा खेल बन गया है जिसमें बड़ी संख्या में लोग भाग ले रहे हैं।
साइना नेहवाल से लेकर अनमोल खरब तक का सफर
लंदन 2012 में कांस्य पदक जीतने वाली बैडमिंटन स्टार साइना नेहवाल हरियाणा से आती हैं, लेकिन उनका प्रशिक्षण हैदराबाद में हुआ। अब हरियाणा से कई प्रतिभाशाली खिलाड़ी उभर रहे हैं, जिनमें अनमोल खरब शामिल हैं। 17 साल की उम्र में उन्होंने 2024 में भारत को पहली बार महिला बैडमिंटन एशिया खिताब जिताने में मदद की। इसके अलावा उन्नति हुड्डा जैसी खिलाड़ी भी हरियाणा में ही प्रशिक्षण पाकर आगे बढ़ी हैं।
हरियाणा के बैडमिंटन खिलाड़ियों का प्रदर्शन हाल ही में खत्म हुए सीनियर नेशनल बैडमिंटन चैंपियनशिप में भी दिखा। हरियाणा ने अपनी पहली महिला टीम चैंपियनशिप का स्वर्ण पदक जीता। इसके बाद देविका सिहाग ने महिला सिंगल्स का खिताब जीता, जो 2022 में अनुपमा उपाध्याय और 2023 में अनमोल के बाद हरियाणा का लगातार तीसरा खिताब है।
अकादमियों और कोचिंग की बढ़ती भूमिका
सोनपत के मलिक बैडमिंटन अकादमी के कोच हरेंद्र सिंह मलिक का कहना है कि अब हरियाणा में एसोसिएशन अधिक सक्रिय हैं और उत्तरी भारत में अधिक रैंकिंग टूर्नामेंट हो रहे हैं। पहले ज्यादातर टूर्नामेंट बेंगलुरु और हैदराबाद में होते थे।
उन्होंने कहा, “अब निजी अकादमियां भी शामिल हो रही हैं, जिससे खिलाड़ियों पर व्यक्तिगत ध्यान दिया जा रहा है। रोहतक और सोनपत जैसे इलाकों में पहले कबड्डी और कुश्ती पर ध्यान था, लेकिन अब माता-पिता बैडमिंटन को भी चुन रहे हैं। यह एक गैर-संपर्क खेल है, जो सुरक्षित है और शिक्षा के लिए भी समय देता है। जब खिलाड़ी बढ़ेंगे, तो कोच भी बढ़ेंगे और परिणाम भी आएंगे।”
हरेंद्र के पांच शिष्य हरियाणा की स्वर्ण पदक विजेता टीम का हिस्सा थे।
साइना नेहवाल का प्रभाव और ‘दंगल’ का असर
हरियाणा टीम के कोच रविकांत सिंगला का मानना है कि साइना नेहवाल के करियर ने हरियाणा में बैडमिंटन को बढ़ावा दिया। उन्होंने कहा, “हरियाणा की लड़कियों ने साइना को देखकर बैडमिंटन खेलना शुरू किया। फिल्म ‘दंगल’ देखने के बाद कई माता-पिता को लगा कि उनके बच्चे भी खेल में अच्छा कर सकते हैं। और कई ने इनडोर खेल बैडमिंटन को चुना। जब हम बेंगलुरु गए, तो हमें 99% यकीन था कि टीम गोल्ड जीतेंगे।”
वैश्विक सफलता की उम्मीद
हालांकि, हरेंद्र का मानना है कि सिर्फ नेशनल चैंपियन बनकर रोल मॉडल नहीं बना जा सकता। उन्होंने कहा, “हम अब इसे विश्व स्तर पर सफलता में बदलना चाहते हैं। हरियाणा में हम अभी भी परिणामों पर फोकस करते हैं, व्यापार पर नहीं। कुश्ती में सभी भारतीय पदक विजेता हरियाणा से हैं। अब हम बैडमिंटन में भी यही उम्मीद कर रहे हैं।”
हरियाणा के बैडमिंटन खिलाड़ियों की यह नई पीढ़ी न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनाने की तैयारी कर रही है।