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शासन का ‘हाइब्रिड मॉडल’ किसी के लिए भी फायदेमंद नहीं: उमर अब्दुल्ला
जम्मू और कश्मीर 6 4 months ago

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने केंद्र शासित प्रदेश में शासन के ‘हाइब्रिड मॉडल’ को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि सत्ता के दोहरे केंद्र किसी के लिए भी लाभदायक नहीं हैं। अब्दुल्ला का यह बयान उस संदर्भ में आया है, जब जम्मू-कश्मीर में उपराज्यपाल के पास कई संवैधानिक शक्तियां हैं, जो एक ‘हाइब्रिड मॉडल’ की स्थिति पैदा करती हैं।

उमर अब्दुल्ला ने संवाददाताओं से कहा, “अगर शासन के लिए सत्ता के दोहरे केंद्र प्रभावी होते, तो यह मॉडल अन्य जगहों पर भी अपनाया जाता।” उन्होंने जोर देकर कहा कि जब सत्ता का एक ही केंद्र होता है, तो शासन प्रणाली अधिक प्रभावी और सुचारू रूप से काम करती है।

हाइब्रिड मॉडल पर चिंता
उमर अब्दुल्ला ने इस मॉडल को जम्मू-कश्मीर के लिए अप्रभावी बताते हुए कहा कि शासन के इस तरीके से न तो जनता को लाभ मिलता है और न ही प्रशासनिक व्यवस्था को मजबूती। उन्होंने स्पष्ट किया कि, “केंद्र शासित प्रदेशों में सत्ता के दोहरे केंद्र सन्निहित होते हैं, लेकिन इससे बेहतर शासन सुनिश्चित नहीं होता।”

राजभवन और सरकार के बीच रिश्ते
अब्दुल्ला ने सरकार और उपराज्यपाल के बीच टकराव की अटकलों को खारिज करते हुए कहा कि कुछ मुद्दों पर मतभेद जरूर हैं, लेकिन वे उस स्तर पर नहीं हैं जितना प्रचारित किया गया। उन्होंने कहा, “हमारे कामकाज के नियम उचित विचार-विमर्श के बाद तैयार किए जाएंगे और फिर उन्हें उपराज्यपाल के पास भेजा जाएगा।”

जनता को सलाह
अब्दुल्ला ने जनता को सलाह देते हुए कहा, “मैं कभी नहीं कहूंगा कि लोग राजभवन न जाएं। लोग हर उस जगह जाएं जहां उनके मुद्दे सुलझ सकते हैं, चाहे वह राजभवन हो, स्थानीय विधायक का कार्यालय हो, या अधिकारी हों।”

राजनीतिक संदेश
उमर अब्दुल्ला का यह बयान एक राजनीतिक संदेश भी देता है कि जम्मू-कश्मीर में शासन व्यवस्था में पारदर्शिता और जनता के प्रति जवाबदेही को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि सत्ता के केंद्रीकरण से बेहतर प्रशासन सुनिश्चित हो सकता है, जो मौजूदा समय में ‘हाइब्रिड मॉडल’ से संभव नहीं हो रहा।

उनका यह बयान जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक और प्रशासनिक व्यवस्था पर एक महत्वपूर्ण चर्चा को जन्म दे सकता है।

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