राजस्थान के कोटा में एक बड़े साइबर घोटाले का खुलासा हुआ है, जिसमें चार युवकों ने चीनी साइबर ठगों के साथ मिलकर 50 करोड़ रुपये की ठगी को अंजाम दिया। हैरानी की बात यह है कि इस गिरोह का मास्टरमाइंड महज 10वीं पास है, लेकिन उसने अपने दोस्तों के साथ मिलकर अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए ठगी का जाल बिछाया। गिरोह ने ठगी की राशि को क्रिप्टोकरेंसी में बदलकर चीन भेज दिया। पुलिस ने मास्टरमाइंड सहित चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और पूछताछ में कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई हैं।
कैसे हुआ घोटाला?
साइबर थाना प्रभारी विनोद कुमार के अनुसार, यह गिरोह ठगी से प्राप्त धनराशि को अलग-अलग खातों में ट्रांसफर करता था। इसके बाद इन पैसों से क्रिप्टोकरेंसी खरीदी जाती थी। आरोपी अपना कमीशन काटने के बाद यह क्रिप्टोकरेंसी चीन में स्थित अंतरराष्ट्रीय साइबर ठगों को भेज देते थे। पुलिस की शुरुआती जांच में यह बात सामने आई है कि केवल सात महीनों में 50 करोड़ रुपये को क्रिप्टो में बदलकर चीन भेजा गया।
गिरफ्तारी और सबूत
16 जनवरी को कोटा पुलिस ने जोधपुर से गिरोह के चार सदस्यों – अक्षय कुमार, राकेश, रामदीन और भोम सिंह – को गिरफ्तार किया। इनकी गिरफ्तारी के बाद मोबाइल फोन की जांच में पुलिस को कई चौंकाने वाले सबूत मिले। आरोपियों के मोबाइल से लेन-देन से जुड़े 11 हजार से ज्यादा स्क्रीनशॉट बरामद हुए।
जाल में फंसे कई बैंक खाते
मोबाइल फोन की जांच में 30 से 35 बैंक खातों की जानकारी भी मिली है, जिनका इस्तेमाल ठगी की राशि को ट्रांसफर करने और ठिकाने लगाने के लिए किया गया। पुलिस के अनुसार, इन खातों के जरिए ठगी के पैसे को ट्रांसफर कर आरोपी अकाउंट होल्डर्स को 15 से 20 प्रतिशत का कमीशन देते थे। फिलहाल, पुलिस ने इन खातों की डिटेल्स के लिए संबंधित बैंकों से जानकारी मांगी है।
ठगी का तरीका और कमीशन मॉडल
गिरोह का काम बेहद योजनाबद्ध तरीके से चलता था। ठगी की राशि को पहले विभिन्न बैंक खातों में जमा किया जाता था। इसके बाद क्रिप्टोकरेंसी में राशि को बदलकर चीन भेजा जाता था। गिरोह के सदस्य इस प्रक्रिया में अकाउंट होल्डर्स को 15-20 प्रतिशत का कमीशन देते थे।
साइबर अपराध का बढ़ता खतरा
इस घटना ने यह दिखाया है कि भारत में साइबर अपराध का दायरा तेजी से बढ़ रहा है। चीनी ठगों के साथ भारतीय अपराधियों की इस साजिश ने सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया है। पुलिस की जांच जारी है और अब तक मिली जानकारी के आधार पर मामले की तह तक जाने की कोशिश की जा रही है।
आरोपियों की पृष्ठभूमि
इस पूरे गिरोह का मास्टरमाइंड अक्षय कुमार है, जिसने महज 10वीं तक पढ़ाई की है। इसके बावजूद उसने तकनीक का ऐसा इस्तेमाल किया कि साइबर ठगों के साथ मिलकर करोड़ों की ठगी को अंजाम दिया। अक्षय और उसके साथियों की योजना और तकनीकी ज्ञान ने पुलिस को भी हैरान कर दिया है।
जांच जारी, अन्य कड़ियां भी जुड़ सकती हैं
फिलहाल पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और उनके खिलाफ ठोस सबूत जुटाए जा रहे हैं। बैंक खातों से संबंधित जानकारी और अन्य लेन-देन की डिटेल्स से कई और संदिग्धों के नाम सामने आ सकते हैं।
इस घटना ने साइबर सुरक्षा और क्रिप्टोकरेंसी के दुरुपयोग पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रशासन और पुलिस को इस तरह के मामलों को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की जरूरत है।